Wednesday 22 March 2017

आज तूफानों को मन मानी कर लेने दो..

आज तूफानों को मनमानी कर लेने दो,
अपनी साध उन्हें भी पूरी कर लेने दो!

अभी  तो सागर ने विष उगला  है,
उठा है उर में अभी तो ज्वार,
अभी तो लहरों ने कश्ती को उछाला है,
डूबना अभी तो उसका बाक़ी है!

आज तुफानों को मनमानी कर लेने दो,
साध उन्हें भी अपनी पूरी कर लेने दो!

बड़े-बड़े तुफानों से टकरायेगी,
साहस को अपने आजमाएगी
माना की कश्ती जर्जर है,
समय की सिमा भी कम है ,
पर विश्वासोँ  की हार नही मानेगी!

आज तूफ़ानों को मनमानी कर लेने दो,
चाह  उन्हें  भी  अपनी पूरी  कर लेने दो।

कभी  तो   लहरे   प्रतिकूल   बनेंगी,
कभी तो झंझावत की गति धीमी होगी।
जब  तक  साँसो  में   स्पंदन  है,
जब  तक  बाँहो  में  दम  है ,
नाविक की हार नही होगी |

आज तूफ़ानों को मनमानी कर लेने दो,
चाह उन्हें भी अपनी  पूरी कर लेने दो !
                                            ## उर्मिल##

Saturday 18 March 2017

नारी


कविता

मै विधाता की रचना ,सशक्त नारी हूँ;

करुणा ममता क्षमा अंचल में पलते मेरे;
मैं भीरु नही  रण चण्डी  दुर्गा  काली हूँ !

है  विद्या  बुद्धि , सरस्वती  का  वरदान मुझे;
पुरुषों के समक्ष खड़े रहने का आधीकर मुझे!

अगणित सीमाओं में बंधी खुद की राह बनाया;
आत्मबल साहस से ये मुकाम पाया हमने!

कितनी गाँठे खोली कितनी जंजीरे तोड़ी है;
संघर्षो से जूझते हर धर्म  है  निभाया हमने!

दिल का दर्द छुपा ,घूट पिया अश्कों का है;
आन पे जब आँच पड़ी शमशीर निकाला हमने!

समुन्दर जैसी खारी ,पर पावन गंगा जल मै हूँ ;
पति की  अंकशायनी  पर सहचरी  भी  मैं हूँ !

दहेज की बलि वेदी पे उत्सर्ग करूँ स्वयं को;
इतनी लाचार नही,नव युग की शक्ति,चण्डी मै हूँ!

                                        #उर्मिल#



ख्वाब

ख्वाबों के ठंढ़ी छाँव तले,
       नींद जरा धीरे-धीरे चल!
टूट न जाय सपन,सुनहरे
      भींगे न जाय आँखों के कोरे!  
नींद जरा धीरे धीरे चल
                       #उर्मिल#
  

Saturday 11 March 2017

खुशियाँ रंग बिरंगी

     खुशियाँ रंग बिरंगी  होती हैं !

     पंख फैलाये तितली सी आती हैं!
     आँगन खुशियों  से भर देती  हैं!!
     हाथो से फिसलती हैं जब ये !
     गम के  साये  फैला  जाती हैं !!

     खुशियाँ रंग  बिरंगी  होती हैं!
        
     इसकी फ़ितरत  जाने  न कोई  ,
     कभी जज्बातों से खेला करती !
     कभी प्यार से बाहों में भर लेती!
     रूप रंग पल पल बदला करती !!

      खुशियाँ रंग बिरंगी  होती हैं !!
                ****0****
                                     #उर्मिल

        
          
          
          

  
          

भीगी यादें

भीगी उम्मीदों को सुखाऊँ कैसे तेरी यादों को भुलाऊँ कैसे   !

बैठे रहते थे घण्टो जिन चिनारों तले
   उन लम्हों को दिल से अलग बसाऊ कैसे!

ठंढी हवाओं के झोके से बिखरती लटें
लिपटी है तेरी यादोँ के संग ,सुलझाऊँ कैसे!

तेरे हाथो की खशबू बसती है हाथो में मेरे
उन अहसासों को तुझसे दूर ले जाऊँ कैसे!

घुमा करते थें जिन वादियों में कभी -
उन बेसबब यादों को पलकों में छुपाऊँ कैसे!

ढूढ़ती है नम निगाहें आज भी  तुझे
पन्नों पे उभरते अक्सो को  मिटाऊं कैसे

मेरी आँखों के काजल पर पढ़ते थे क़सीदे
बता उन आँखों में अब काजल रचाऊं कैसे!

रजनीगन्धा के फ़ूलो को दिया था जो तुमने
उन पंखुड़ियों को बिखरने से बचाउ कैसे!

मिल के देखे थे जो हजारो ख्वाब हमने
उन  ख्वाबों को हकीकत बनाऊँ  कैसे !

 
      

अंतर्मन

अंतर्गगन का परत दर परत अँधेरा हटा, ज्ञान  बीज अंकुरित होने लगा है

सम्पुटित उर कमल को हौले हौले छू के
रश्मियाँ खिलाने लगी

दिल- के शाखों की  झूमने लगी आज डारी डारी

चहचहाता  है मन का पक्षी ,उल्लसित लगने लगा है सबेरा

  ऊर्जा कीअटखेलियों से सुधा सिचित हो गया हृदय कोना कोना

  खुल गई दिल की खिडकियाँ सुरभित पवन का आया झकोरा
 
  दिशाओं ने  मधुर  विमल सन्देशा है भेजा
 
  आज आनन्द जल से  नयन है छलकते विकल मन प्राण आज  कैसा ये विश्राम पाया!

प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ

दृग जल की मसि बना ,
   पल पल के उड़ते पन्नो पर-
      सुधियों की कलम से,
          स्वांसों   के   अक्षर  लिखती  हूँ !
          प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ !!

कैसे भेजूँ सन्देश तुझे ,
   मन ही मन बाते करती हूँ ;
     जब राह नही मिल पाती  है ,
        आँखों  से झर झर आँसू बहते है !
        प्रिय याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ !!
      
स्वर साधना में भी मेरे ,
  प्रिय ! गीत विरह के होते है ;
     नज़रों से तुम ओझल होते ,
         अंतर्मन में ही रहते हो
             यादों की शीतल छाया
             महसूस हमेशा करती हूँ
        असह्य वेदना उर में गुंजित होती!
               प्रिह याद तुम्हे हर क्षण करती हूँ!!

                               #उर्मिल