वेदनाओं के ज़हर पीते, हम अकेले तो नही...
हसरतों के पल संजोते, हम अकेले तो नही...
फ़िर यहां लगता नहीं क्यों कोई चेहरा अपना...
वेदनाओं के हर पल जीते हम अकेले तो नही!!
मन वीना के तार घायल हो रहे प्रतिपल...
धड़कने भी अपनी बेसुरी हो रहीं प्रतिपल...
कश्तीयां डूबती हैं,क्यों सदा किनारो के पास
हैं मचलती लहरें,किनारों के लिए क्यों प्रतिपल!!
आस का पक्षी फडफडाता,उम्मीदों की शाख पर
मन की डारियां झुला झूलाती पीले पीले पात पर
चट्टानों की दरारों से झांकता सहमा सा उजास है
वेदना की मुस्कान अँधेरों से मिली सौगात है!!
भूखे पेट की वेदना चुभती शूल सम ह्रदय में
सूखे स्तनों को झिंझोडता बच्चा,पीर उठती ह्रदय में
मजबूरियां मां की बताएं.कैसे ह्रदय हीन जगत को
भूख की आग में जलती न जाने कितने बस्तियां__
वेदनाओं के इस मौन, निर्मम, शहर में.........
वेदनाओं के पल को जीते रहते हम प्रतिपल
आस का पक्षी फडफडाता मन में है प्रतिपल!!
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🌷उर्मिला सिंह
बहुत बहुत आभार आपका इस रचना को "मन का मैल मिटाओ" चर्चा में शामिल करने के लिए
ReplyDeleteवाह!बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना सखी उर्मिला जी ।
ReplyDeleteआस का पंछी फडफडाता मन में है प्रतिपल ..वाह!!
धन्य वाद शुभा जी
Deleteवेदनाओं के पल को जीते रहते हम प्रतिपल
ReplyDeleteआस का पक्षी फडफडाता मन में है प्रतिपल
बहुत खूब..... ,सादर नमन आपको
शुक्रिया कामिनी जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबेहतरीन सृजन...।
आभार आपका
Deleteभूखे पेट की वेदना चुभती शूल सम ह्रदय में
ReplyDeleteसूखे स्तनों को झिंझोडता बच्चा,पीर उठती ह्रदय में
मजबूरियां मां की बताएं.कैसे ह्रदय हीन जगत को
भूख की आग में जलती न जाने कितने बस्तियां__
वेदनाओं के इस मौन, निर्मम, शहर में..
बाहुत मार्मिक रचना आदरणीय उर्मिला जी | जीवन में प्रतिपल वेदना की नित नयी सौगात मिलती रहती है | कभी भावों से वेदना तो कभी अभावों से | बहुत अच्छा लिखा आपने | सस्नेह शुभकामनायें |
धन्य वाद रेणू जी
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 24 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteनमस्कार यशोदा जी साथ ही आपका आभार व्यक्त करती हूं रचना को मंच पर साझा करने के लिए!
Deleteसच दी वेदना के सर्वर मुखरित कर दिए आपने बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम
Deleteबेहद मर्मस्पर्शी रचना दीदी
ReplyDeleteधन्य वाद प्रिय अभिलाषा जी
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