आज न संस्कार है न आपस में प्रेम अजीब सी दुनिया होरही.......एक मुक्तक ....
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जमाना बदल गया या हवा का रुख बदल गया
लगता है यूँ जैसे हर शख्स का चेहरा बदल गया
मान अभिमान की खाईंया गहरी होती जा रही
आज हर शख़्स के आँखो का पानी मर गया!!
🌷उर्मिल
वाह दी बहुत सुन्दर
ReplyDeleteगहरी सोच दर्शाती रचना
चार पंक्तीयाँ काफी हैं
कहने को हर बात
सीख रहे हैं हम भी दी
आज आप के साथ
प्रिय नीतू हार्दिक धन्य वाद
Deleteबेहद खूबसूरत पंक्तियां उर्मिला जी
ReplyDeleteमान अभिमान की खाईंया गहरी होती जा रही
आज हर शख़्स के आँखो का पानी मर गया!!
आभार अनुराधा जी
Deleteवाह वाह दी आज का सत्य दिखाती गहरी पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर,।
धन्य वाद प्रिय कुसुम
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