वीरों की कहानी....
अरि का समूल नष्ट करने विघ्नों को जो गले लगाते है
काँटो से घिर कर भी दुश्मन पर विपत्ति बन छाते हैं
लक्ष्या गृह से तप कर जो निकलतें,शूर वीर वही कहलातें
सच के राही पर रंग दुवाओं के अम्बर से बरसते हैं!
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🌷ऊर्मिला सिंह
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 20 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1161 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सुंदर रचना दी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए।
बेहद खूबसूरत रचना
ReplyDeleteवीररस का धारदार मुक्तक !!!! बधाई आदरणीय उर्मिला जी |
ReplyDeleteवीर रस का धारदार मुक्तक आदरणीय उर्मिला जी !!!!!! हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteसुंदर रचना,जानदार रचना,सुंदर उपदेश देती हुई वीर रस से सनी खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteमंगलमय सुप्रभात....
दी बहुत ही सुंदर "गागर में सागर "जैसी पैनी सार्थक रचना ।
ReplyDeleteअद्भुत
ReplyDeleteबहुत प्रभावशाली मुक्तक है दी...वाह्ह्👌
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय श्वेता।
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