शब्द फूल से नाज़ुक पत्थर से कठोर होते हैं ,ये यदि दुसरों को मायूस करते हैं ,तो स्वयम के मन को भी अशान्त करतें हैं ।
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शब्द......
शब्द ,शब्द ही नही व्यक्तित्व का आईना होता है
शब्द भाओं में ढल अर्चना और अरदास होता हैं!
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शब्दों के जलवे न पूछो कभी तीर कभी गुलाब है,
शब्दों से चन्दन की शीतलता का आभास होता है!
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सम्वेदनाओं से अभिभूत शब्द दर्द का उपचार है,
शब्द से नफ़रत तो शब्द ही प्रेम का उपहार होता है!
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🌷ऊर्मिला सिंह
वाह वाह ..बेहतरीन शब्द की व्याख्या दी !
ReplyDeleteशब्द एक पर दिख रहे कितने सारे प्रतिबिम्ब
हर बिम्ब से झांकता नया निराला रंग !
शब्द के विभिन्न रूप....
ReplyDeleteक्या बात है...वाह!!!
बहुत सुन्दर...
वाह दी सटीक,
ReplyDeleteशब्दों की सुंदर व्याख्या ।
निर्जीव न समझो इनको ये असर करे बहु जोर
कभी फूल सम कोमल कभी घाव करे गंभीर ।
बहुत सुन्दर...👌👌👌
ReplyDeleteशब्दों के खेल सारे...शब्दों के जलवे न पूछो कभी तीर कभी गुलाब
ReplyDeleteये शब्द ही तो हैं जो किसी के व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं...
ReplyDeleteसूंदर रचना....
शुभ रात्रि.....