आज के युग में सम्वेदनाओं का आभाव होगया है इसी भाव को दर्शाती रचना......
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सम्वेदनाओं के शब्द से दिल पिघल जाता है !
तसल्ली पा आँखो से अश्क ढुलक जाता है !
रंग बदलती दुनियाँ में सम्वेदना मिलना मुहाल हुवा
आदमी हर वक्त ख़ुद में परेशान नज़र आता है!
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🌷ऊर्मिला सिंह
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