जिन्दगी क्या एक पहेली है जिसे सुलझाने में उम्र बीत जाती है?
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जिन्दगी तूँ अनबूझ पहेली है
कभी दुश्मन कभी सहेली है!
कभी सपनो के महल बनाती
कभी गम के तूफानों में डुबाती
कभी आस के दीप जलाती
कभी निराशा की बदली बन जाती!!
जीवन के चौराहों पर तुम
चलती टेढ़ी मेढ़ी चालें हो
समझना चाहूं जितना तुमको
उतनी ही उलझती जाती हो!!
जिन्दगी अनसुलझी पहेली है
कभी दुश्मन कभी सहेली हो!!
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🌷उर्मिला सिंह
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