अहसास जो जिन्दगी का अभिन्न अंग होता है, भुलाए से भी नही भूलता जो सासों के संग होता है.....
अहसास.......
दिल के तहखाने में छुपे हुवे कुछ एहसास.....
हर्फ...हर्फ...उसके,कागज पर उतार दिया
पर न जाने कब अश्कों का.....
समन्दर छलकने लगा.....
हर्फ़ गीले हो मिटने लगे.....
खामोशी.....जख़्मी होती रही
एहसास हिचकियाँ भर मरता रहा....
बेहतरीन अभिव्यक्ति दी
ReplyDeleteएहसासों पर सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिय अनुराधा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ऋतु जी
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