तुम कौन हो.......?
न ख्वाब हो ....
न हकीकत हो......
न शब्द हो...
नअर्थ हो.....
फिर भी लगता है.......तुम हो....।
राह में चलते -चलते.....
एहसासों में हो......
तन्हाइयों में अदृश्य हो......
हवाओं में हो ......
फिजाओं में हो.....
आस में हो....
विश्वास में हो....
तुम कौन हो......?
फूलों में हो.....
मन्दिर की घण्टियों में हो...
सारी कायनात में मौजूद हो.....
है अदृश्य देव तुम कौन हो...?
कौन हो....?
कौन हो.....?
कौन हो.....?
🌷उर्मिला सिंह
मेरी पुस्तक "बिखरी पंखुड़िया"से है।
तुम कौन हो.......?
ReplyDeleteन ख्वाब हो ....
न हकीकत हो......
न शब्द हो...
नअर्थ हो.....
फिर भी लगता है.......तुम हो... अद्भुत प्रस्तुति
हार्दिक एवम स्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनुराधा।
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