मुट्ठीयों में छुपे जुगनुओं को आजाद कर दो
की दिवाली है आई!
जिन चिरागों में तेल कम हो उन्हें लबरेज़ कर दो
की दिवाली है आई!
हर झोपड़ी जगमगाए कुछ ऐसा जतन कर दो
की दीवाली है आई!
आए राम अयोध्या,खुशियों की दीप जलाओ
मर्यादित हो जीवन, की दीवाली है आई!!