मुट्ठीयों में छुपे जुगनुओं को आजाद कर दो
की दिवाली है आई!
जिन चिरागों में तेल कम हो उन्हें लबरेज़ कर दो
की दिवाली है आई!
हर झोपड़ी जगमगाए कुछ ऐसा जतन कर दो
की दीवाली है आई!
आए राम अयोध्या,खुशियों की दीप जलाओ
मर्यादित हो जीवन, की दीवाली है आई!!
खुशियों के दीप जला दो की दीवाली है आई ....
ReplyDeleteरोते बच्चों को हँसा दो की दीवाली है आई .....
अति सुंदर लघु रचना...
दिल को छूती हुइ ....
अच्छा है
ReplyDeleteहार्दिक धन्य वाद पुरुषोत्तम जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी
ReplyDeleteहार्दिक धन्य वाद प्रिय अनुराधा
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