जीवन कुछ भी नही..... पल दो पल की कहानी है.......
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ख़ामोश होती हुई सांसों
ज़रा धड़कनों का शोर
सुनने की मोहलत दो
छलक पड़ी आंखों को
ज़रा सांत्वना के दो शब्द कहने दो
फिर न जाने कब मिलेंगे
वेदना के पुष्प एहसासों को अर्पित करने दो!!
यादों की कितनी ही स्याह कतरने इकट्ठी हैं
उन कतरनों को जरा जोड़ने दो
कुछ के डंक की पीड़ा, ज़ख्मी ह्रदय को
एक ही साँस मे पीने दो.......!!
हसरतों के धागे बुनते रहे.....
पत्थरों के नगर में सदा....
आज बस ख़ामोश बदन से
दुआ के कुछ फूल पत्ते झरने दो!!
ख़ामोश होती हुईं सासें
ज़रा धड़कनों का शोर
सुनने की मोहलत दो........
उर्मिला सिंह
ख़ामोश होती हुईं सासें
ReplyDeleteज़रा धड़कनों का शोर
सुनने की मोहलत दो.......
बहुत ही सुंदर सृजन ,सादर
हार्दिक धन्य वाद कामिनी जी
Deleteसुंदर 👌👌👌🙏🙏🙏
ReplyDeleteस्नेहिल धन्य वाद प्रिय नीतू
Deleteबेहतरीन रचना दी
ReplyDeleteशुक्रिया प्रिय अभिलाषा
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