सास की सरगम पर गीत है जिन्दगी की
बज रही है धुन कभी खुशी कभी गम की!
मायूसियों से घबड़ाना क्यों ,कांटों से डरना क्या
खोज वो ठिकाना जहाँ चिंता न हो गम की!
अजनबी से ख्वाब मेरे हँस रहे आज मुझ पर
क्या पता था उजालों में छांव मिलेगी ग़म की!
जिन्दगी देके भी नहीं चुकते जिन्दगी के कर्ज कुछ
पर वक्त बैठा कर रहा इशारा सुरमई मंद की !
है न अज़ीब सी बात इस मुई जिन्दगी की.....
अश्क आँखों में अधर पे गान जिन्दगी के नज़्म की!!
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उर्मिला सिंह
सुंदर भावों का संयोजन। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी।
Deleteहै न अज़ीब सी बात इस मुई जिन्दगी की.....
ReplyDeleteअश्क आँखों में अधर पे गान जिन्दगी के नज़्म की!!
सुन्दर सृजन....
विकाश नेंनवाल जी ह्रदय से आभार।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteमनोज कायल जी उत्साह वर्धन के लिए आभार।
Deleteडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।
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