बसन्त शुभ हो
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नव आस नव बिस्वास
बाटने आगया बसन्त
फूलो से सुसज्जित धरा,
रंगों से दिशाएं सज गईं
इंद्रधनुष सा सौंदर्य बिखेरता
आगया ऋतुराज बसन्त।।
पीत वसन हुई धरा
पीले सरसो के खेत
अमराई में कोयल कुहके
मंजरी से लदे आम के पेड़
शुभ हो जनजीवन को बसन्त
बसन्त का अप्रतिम त्योहार.....
शुभ हो उन्हें जिनके विचार
पतझड़ से नग्न हो चुके
उनके कुंठित विचारों को
विभिन्नता में एकता की
समरसता मिले.....।।
शुभ हो उन्हें जिनके
शब्द रसहीन हो चुके
उन शब्दों के गागर
प्रीत अनुराग से छलक उठे
बसन्त शुभ हो उन्हें....
जो एक होकर भी एक न हो सके
राग द्वेष के दुष्चक्र में
अपने अन्दर के छुपे
आनंदके स्रोत्र को सुखा बैठे
उनके अंदर.....
सरस् कोमल भावों के पुष्प
ह्रदय की वादियों में ख़िलादें
फागुनी हवाओं की मस्ती में
फाग के गीत गुनगुना उठे।।
बसन्त ज्ञान की देवी
मां सरस्वती की पूजा ऋतु है
हर देहरी करुणा कीअल्पना सजे
बसन्त के रंग गहरे हों इतने
हर गली कूचे सुनहरे हो उठे
भावों की मंजरी से ....
माँ शारदे को नमन करें.....
बसन्त शुभ हो उन्हें भी....
जो बसन्त को अनुभव न कर सके
आनन्द वंचित ह्रदय को .....
बसन्ती आनन्द की अनुभूति हो
बसन्त शुभ हो.... शुभ हो....शुभ हो।।
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उर्मिला सिंह
बसंत की महिमा तथा सौंदर्य की छटा बिखेरती सुन्दर रचना..मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है सादर नमन..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव दी! सभी के लिए कोमल परहिताय सृजन।
ReplyDeleteआपकों भी दी बसंत की हार्दिक शुभकामनाएं।
ऋतुराज का स्वागत करती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद बसन्त आपको मंगलदायी हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबसन्त शुभ हो उन्हें भी....
ReplyDeleteजो बसन्त को अनुभव न कर सके
आनन्द वंचित ह्रदय को .....
बसन्ती आनन्द की अनुभूति हो
बसन्त शुभ हो.... शुभ हो....शुभ हो।
वाह कितनी सुंदर कामनायों से श्रृंगार किया है अपने रचना का उर्मि दीदी | ये आपके निर्मक ह्रदय का द्योतक है | सस्नेह शुभकामनाएं और बधाई | बसंत आपके जीवन में भी अटल भाव में व्याप्त रहे | सादर |