राज-ए दिल न कहो किसी से अजीबोगरीब दुनिया है,
जो दोस्त है कल वही दुश्मन भी हो सकता हैं।
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गुलशन में फूलों से ही नही कांटों की भी जरूरत होती हैं
जिन्दगी में खुशियां ही नही अश्को की भी जरूरी होती हैं ।।
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कुछ लोग यादों के गहरे निशान छोड़ जातें हैं
बहार हो या खिज़ा यादों के चिराग जलाजातें हैं।
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जिन्दगी चलते चलते जब थकान से चूर होती है
सांसो से कहती है "दोस्तआ चल कहीं और चले"
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कुछ जख्मों के भरने में देर बहुत लगती है
जख्म देने में जब अपनो की इनायत होती है।
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हौसलों को जिंदा रखने की कोशिस तो कर
जिन्दगी है गर तो ठोकरों से घबड़ाया न कर।
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तेरे कदमों के रफ़तार से मुक़द्दर भी पशेमां होगी
तेरे हौसले की हिम्मत मुक़द्दर को भी झुका देगी।
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उर्मिला सिंह
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०१ -०१ -२०२२ ) को
'नए वर्ष की ढेर शुभ-कामनाएँ'( चर्चा अंक-४२९६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
अनिता जी हमारी रचना को चर्चा पटल पर रखने के लिए हार्दिक आभार।
ReplyDeleteवाह!उर्मिला जी ,बहुत खूब!
ReplyDeleteसुंदर रचना आदरणीया🙏
ReplyDeleteवाह बहुत ही बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर दी, हौसला अफजाई करते शब्द।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आपको सह परिवार जनों के।