अपनी तहज़ीब को दिल में बसाए रक्खा है हमने।
नफऱत के काँटों से ख़ुद को बचाये रक्खा है हमने।।
नजरों में तेरे गैर सही मुझे इसका कुछ गिला नही।
तकदीर तेरे सामने सिर को झुका दिया है हमने।।
जीने वाले तो मर मर के जीते हैं इस जहां में
जो गुज़री है हम पर हँस के गुजारा है हमने।।
सूखी रेत हाथों से फिसल जाती है दोस्तों
रिस्तो में नमी की कोशिस बारहा किया है हमने।।
वक्त पर गुरुर मत कर वक्त मौन है गूंगा नही
अपना पराया वक्त को बताते देखा है हमने।।
उर्मिला सिंह
नजरों में तेरे गैर सही मुझे इसका कुछ गिला नही।
ReplyDeleteतकदीर तेरे सामने सिर को झुका दिया है हमने।
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब।
वाह अप्रतिम सृजन
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर मर्मस्पर्शी सृजन आदरणीय दी।
ReplyDeleteसादर
वाह वाह उत्कृष्ट सृजन, राधे राधे।
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