शब्द शब्द रंग भरे
मस्ती छाई भावों में
उड़त गुलाल मन आंगन
सखि फागुन आयो रे।।
पलास पलास फागुन दहके
अधर रसीले प्रीत से छलके
सत रँगी रंग रँगी चुनरिया
अंगिया रँगी लाल चटकारे
सखि फागुन आयों रे....
सखि फागुन आयो रे...
गली गली भौरे मंडराये...
इत उत कलियां इतराये
लाल गुलाल कपोल लगे
शर्मीले नैना झुक झुक जाए रे...
सखि फागुन आयो रे......
महक रही बगिया सारी
बौराये आम की कोमल डाली
उड़े गुलाल लाल भये अम्बर
सतरंगी रंग प्रीत बन चहके
सखि !होली आई रे......
💐💐💐💐
उर्मिला सिंह
होली की मनमोहक छटा को परिभाषित करती सुंदर सराहनीय रचना ,होली की शुभकामनाएँ और बधाई दीदी 💐💐🖍
ReplyDeleteप्रिय बहन जिज्ञासा हार्दिकधन्यवाद तथा होली की शुभकामनाएं।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार मान्यवर आपका,होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Deleteआदरणीया उर्मिला सिंह जी, नमस्ते👏! बहुत अच्छी रचना है। ये पंक्तियाँ बहुत सुंदर हैं:
ReplyDeleteपलास पलास फागुन दहके
अधर रसीले प्रीत से छलके
सत रँगी रंग रँगी चुनरिया
अंगिया रँगी लाल चटकारे
सखि फागुन आयों रे....
सखि फागुन आयो रे...
रंगों और उमंगों भरी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!--ब्रजेंद्रनाथ
होली की शुभकामनाओं के साथ हार्दिक धन्यवाद।
Deleteहोली जैसे स्वयं फाग खेलन रही है बहुत सुंदर सृजन दी।
ReplyDeleteअनंत शुभकामनाएं।
सादर।
प्रिय कुसुम स्नेहिल धन्यवाद एवम होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद अनिता सैनी जी हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह! प्रकृति, ऋंगार और फागुन की फुहार! बधाई और आभार!!
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