सुनो ..ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा
तम हारकर जीवन में विश्वास भरेगा...।।
माना हिय में घनघोर अन्धेरा है
सूरज पर बादल का पहरा है....
पवन बहेगा बादल को छटना होगा
प्राची से सूर्य रश्मियों को हँसना होगा।।
सुनो ..ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा....
तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा.....।।
कटिले झाड़ राह तेरा रोकेंगे .....
जख्मों को देकर ,दिल से खुश होंगे
पर गुरुर टिका नही किसी का कभी....
तेरे सत्य के आगे वह भी घुटने टेकेगा..।।
सुनो.. ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा...
तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा....।।
सत्य सुचिता क्षमा ही सम्बल होगा
दया धर्म करुणा राह तुझे दिखायेगा
संस्कारों की कश्ती बंधी हुई तट पर.....
आस्था,विश्वास,पथ तेरा अलंकृत करेगा...।।
सुनो ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा....
तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा.....।।
उर्मिला सिंह
आशाओं से परिपूर्ण सुन्दर कविता. सचमुच हर रात का सबेरा होता है.
ReplyDeleteजब भी हम निराशा से घिर जाते हैं उसी के मध्य आशा की प्रबलता जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।जैसे रात के बाद सवेरा उगता है उसी तरह मायूसी के तम को हरने उम्मीदों का जगमगाता ज्योति पुंज उपस्थित हो जाता है।एक प्रेरक भावों की रचना🙏
ReplyDeleteप्रिय बहन भाओं की अभिव्यक्ति में आप प्रवीण हैं। स्नेहिल धन्यवाद।
ReplyDeleteकटिले झाड़ राह तेरा रोकेंगे .....
ReplyDeleteजख्मों को देकर ,दिल से खुश होंगे
पर गुरुर टिका नही किसी का कभी....
तेरे सत्य के आगे वह भी घुटने टेकेगा..।।
सुनो.. ज्योति पुंज फिर प्रज्वलित होगा...
तम हरकर जीवन में विश्वास भरेगा....।।
बहुत सटीक
आशा और विश्वास के साथ मन में उम्मीद की किरण जलती रहे...
लाजवाब सृजन ।