प्रेम की सीढ़ियां,....
प्रेम की अभिव्यक्ति
मौन से होती है
प्रेम सम्मान चाहता है
अपमान नहीं
प्रेम स्वीकृती चाहता है
अस्वीकृती नहीं
प्रेमाश्रु समझ सके..
प्रेम ऐसा दिल चाहता है
प्रेम समर्पण चाहता है
त्याग नहीं
प्रेम हास्य चाहता है
रुदन नहीं
प्रेम विश्वास चाहता है
अविश्वास नहीं
प्रेम साथ चाहता है
तन्हाइयां नहीं
प्रेम मौन होता है
मुखर नहीं
प्रेम पद चिन्हों को....
छोड़ जाता है
जमाने के लिए.....
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🌷उर्मिला सिंह🌷
प्रेम से बढ़कर पवित्र शब्द ही नहीं।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति दी।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार १८ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद प्रिय श्वेता जी, हमारी रचना को
Deleteसाझा करने के लिए।
प्रेम की अतीव सटीक परिभाषा, जहाँ सम्मान नहीं है वहाँ प्रेम की बात करना ही व्यर्थ है
ReplyDeleteआभार अनीता जी।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteआभार मान्यवर
Deleteबहुत सुंदर दीदी जी।
ReplyDeleteसादर प्रणाम
स्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनीता सैनी जी।
Deleteप्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद रूपा सिंह जी
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