Tuesday, 18 September 2018

शूर वीर...

वीरों की कहानी....

अरि का समूल नष्ट करने विघ्नों को जो गले लगाते है
काँटो से घिर कर भी दुश्मन पर विपत्ति बन छाते हैं
लक्ष्या गृह से तप कर जो निकलतें,शूर वीर वही कहलातें
सच के राही पर रंग दुवाओं के अम्बर से बरसते हैं!
                     ****0****
                                    🌷ऊर्मिला सिंह
  

10 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 20 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1161 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  2. सुंदर रचना दी ।
    बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए।

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  3. बेहद खूबसूरत रचना

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  4. वीररस का धारदार मुक्तक !!!! बधाई आदरणीय उर्मिला जी |

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  5. वीर रस का धारदार मुक्तक आदरणीय उर्मिला जी !!!!!! हार्दिक बधाई |

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  6. सुंदर रचना,जानदार रचना,सुंदर उपदेश देती हुई वीर रस से सनी खूबसूरत रचना....
    मंगलमय सुप्रभात....

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  7. दी बहुत ही सुंदर "गागर में सागर "जैसी पैनी सार्थक रचना ।

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  8. बहुत प्रभावशाली मुक्तक है दी...वाह्ह्👌

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय श्वेता।

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