Friday, 7 September 2018

पलकों के मोती......

पलकों के मोती....
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पलकों से मोती चुनूँ
        नैना दियो बहाय
हार गई  अँसुवन से
        कर के लाख उपाय!

  सिसक रही हैं हसरते,
          बैठी हूँ आँख चुराये
खुद  को  ढूढ  रहेे  हम
           बीत गये दिन सारे!

               **0**
                           .🌷ऊर्मिला सिंह

7 comments:

  1. " पलकों के मोती "
    बहुत सुंदर रचना..
    क्या बात है..

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  2. बेहद उम्दा दी ,हार गई अंसुवन से ...।बहुत सुंदर।

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    1. स्नेहिल धन्य वाद प्रिय कुसुम

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