आया - आया, बाइस्कोप आया..
रंग बिरंगा बाइस्कोप देखो ..
जिद्दी आंदोलन की तस्वीर देखो..
विपक्ष का अजूबा खेल देखो...
आओ बहनों भाइयों मुफ़्त का तमाशा देखो !
बच्चों को प्यार बड़ों को सलाम
ताली बजाओ मेहरबानो...!!
बाइस्कोप में नही, कहानी मर्दानी लक्ष्मीबाई की
नही कहानी सरदार भगतसिंह जैसे देश भक्तकी...
नही बनाते अठन्नी चवन्नी नही बनाता रोकड़ा..
बाइस्कोप दिखाता सिर्फ सियासत का थोबड़ा !!
क्यों जम्हूरे सच कहा न तो....
आओ कद्र दानों मेहरबानो..!!
देखो भईया देखो विपक्ष का तमाशा देखो...
अन्नदाताओं को झांसा पट्टी पढ़ाते देखो...
बिचौलियों को अपना उल्लू सीधा करते देखो...
अपने बैठ कैम्पो में ,ठंढ में गर्मी का आनन्द उठाते...
हमारे कृषक भाइयों को ठंढ में सिकुड़ते देखो....!!
अब आंदोलन में मेला का रूप देखो..
लगा हुआ स्टाल ,तरह तरह का पकवान देखो...
खाने में काजू बादाम अखरोट है..
ब्रेड पर शहद माखन का लगा लेप है
मुफ्त में बिरियानी रायते का झोल देखो...!
पडगये चक्कर में जम्हूरे ....
तुमतो बजाओ सिर्फ ताली....
क्यों कि वर्षों से आप यही करते आयेहो..!!
सब मुफ़्त में देते ,अक्ल पर पर्दा डालते
हड़ताल अन्नदाताओं से करवाते
जो छूट गया सिंहासन
उसका सपना सजाते
किसानों की जयजयकार बोलते देखो
देखो भाई देखो नेताओं का कमाल देखो..!!
एक बार फिर बजाओ जम के ताली
ताकी सियासत करने वालों की मनजाये दीवाली..!
अन्न दाता भ्रामित
विचौलियों की वाह... वाह
बाकी लोग उड़ा रहे माल
व्यंजनों का थाल
विपक्ष मुस्कुरा रहा
अपनी पीठ थप थपा रहा
लगता है सत्ता की चाभी
है उनके हाथ लगी.....
सिहासन दूर नही
कमर कसे बैठे युवराज
कहो कैसा लगा जनाब
जय कलकत्ते वाली तेरा वार न जाये खाली
बजा जम जम के ताली.........
कोई कृषी कानून का कागज फाड़ता
नेता मौका चूकते नही कुर्सी के लिए लड़ता
स्वार्थ के अंधे ये क्या भला करेंगे देश का
वर्षों सोए रहते चुनाव करीब जब आता
खुल जाती है नीद , दनादन सुर्खियों में आता
फिर एक पर एक फ्री ,बस यात्रा फ्री ,लगान फ्री
एक रुपये में भर पेट भोजन फ्री...
शोर शोर शोर ,जीत गए नेता लोग,
जो अपने को राजा से कम नहीं समझता
पर जनता के पल्ले क्या पड़ता..
केवल ठाला ही ठाला होता ..
बजा जम्हूरे ताली, जय काली कलकत्ते वाली,
बंदेमातरम..जय भारत जय हिंदुस्तान......
उर्मिला सिंह