कान्हा ना कर......
*************
कान्हा ना कर मों संग बरजोरी
छुप छुप देखत सखियाँ मोरी
लाल गुलाल रंग भई चोली
नख सिख डूबी प्रीत रंग में तोरी!
कान्हा ना कर मों संग बर जोरी..........
प्रीत रंग से दूजा रंग न कोई,
अब न चढ़े लाल गुलाबी कोई
छोड़ दे नटखट नर्म कलाई
यूं ना कर कान्हा जोरा जोरी!
कान्हा ना कर मों संग बरजोरी.......
बाज रही पाव पैजनियाँ मोरी
चमकत मुख पर नथुनियां मोरी
बजा प्रीत रस की आज बाँसुरिया.......
तब खेलूँ तुझ संग होली सावरिया....
बांकी चितवन से न देख साँवरिया
कान्हा ना कर मों संग जोरा जोरी।।
*****0******
उर्मिला सिंह