Sunday, 8 May 2022

मातृ दिवस पर वन्दन

मातृ दिवस पर ह्रदय से वन्दन.......
    ------0-----0------
मां और बच्चे का नाजुक स्नेहिल रिश्ता
निर्मल पावन निःस्वार्थ होता ये  रिश्ता।।

मां को यूं ही नही कहा गया भगवान
ममत्व,और दण्ड का रखती प्रावधान 
मर्यादा ,गीता ज्ञान समाहित उसमें
बिन कहे पढ़ती  लेती मनोभाव बच्चों के।

होता ऐसा निर्मल स्नेहिल रिश्ता मां का.....

मांन अपमान का ध्यान नही ....रखती
कभी काली कभी दुर्गा बन रक्षा करती
बच्चों की हर अवज्ञा का जहर  हैं पीती
आने वाली बाधाओं को अपने सर लेती

ऐसा प्यारा श्रद्धा मय होता रिश्ता मां का...

मां जीवन देती, शिक्षक,पथप्रदर्शक बनती
जीवन के हर पहलू को,अनुभव से समझाती
बच्चों की प्रगति के लिए चैत्यन्य सदा रहती
बच्चे माने,न माने आगाह सदा किया करती।।

निस्वार्थ  करुणामय  होता रिश्ता मां का....


मां के रक्त क्षीर से रचना होती बच्चों की
सब रिश्तों से ऊपर होता  रिश्ता मां का......

                 उर्मिला  सिंह



9 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 09 मई 2022 को 'तो क्या कुछ भी नहीं बदला ?' (चर्चा अंक 4424) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद रविन्द्र जी हमारी रचना को मंच
      पर साझा करने जे लिए।

      Delete
  2. Replies
    1. शुक्रिया आलोक सिन्हा जी।

      Delete
  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद कविता जी।

      Delete
  4. बेहतरीन रचना .

    ReplyDelete
  5. सुंदर कविता।हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  6. भगवान् को तो देखा नहीं ... माँ को देख लिया भगवान् पे विश्वास हो गया ...
    बहुत कमाल की रचना ...

    ReplyDelete