Tuesday, 28 June 2022

एक ख्वाईश....पागल मन की

एक ख्वाईश....पागल मन की।

बारिष -बादल
सावन -झूले
सुहानी हवा
माटी की सुगंध
फूलों की खुशबू
पूरी कायनात महक उठे।।

एक ख्वाइश -पागल मन की।।

इंद्रधनुषी -अम्बर
विश्वाशों का सफर
अनन्त की प्रार्थना
 बारिश की बूंदे
 अन्तर्मन के भाव
 विभोर तन मन
 नयन कोरों से
 छलकते अश्क
 एक ख्वाइश -पागल मन की।।
 
      कुछ शब्द 
 यादों के पिंजरे से
      तस्वीर बन 
     सामने आते
बीते वक्त  के अहसास
 सुरीले गीत के स्वर
  गूंजते वादियों में।।

एक ख्वाईश - पागल मन की।।
        *****0*****
          उर्मिला सिंह
  
 
    
     


10 comments:

  1. सुप्रभात -हार्दिक धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. पावस ऋतु का सुंदर शब्दचित्र।सराहनीय रचना ।

    ReplyDelete
  3. सराहनीय सृजन

    ReplyDelete
  4. वाह!!!
    बहुत सुंदर ख्वाहिश ।
    👌👌🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुधाजी हार्दिक धन्यवाद।

      Delete
  5. आप का बहुत बहुत आभार पम्मी जी हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए। शुभ रात्रि

    ReplyDelete
  6. इससे ज्यादा क्या ख्वाहिश करेगा मन ...... लेकिन मन पागल तो नहीं है ..... खूबसूरत रचना ..... बारिश शब्द सुधार लें .

    ReplyDelete