Tuesday, 31 December 2024
नव वर्ष 2025 स्वागत है तुम्हारा
अलविदा 2024
Sunday, 15 December 2024
हृदय में क्रंदन उर ज्वाला,जीवन गीत लिखूं कैसे
अश्कों के सजल रथ ,मोम से ख्वाब पिघलते
व्यथा की पीर दिशाओं में हवाओं के संग भटकते
बिखरे स्वप्न फूलों के,मन अंचल में छुपाऊं कैसे?
हृदय में क्रंदन उर ज्वाला,जीवन गीत लिखूं कैसे
भावों के गीत मनोरम सब जीवन से लुप्त हुए
आहों की सरगम में जीवन के दिन रात व्यतीत हुए।
आरोह,अवरोह,पकड़ सब भूल गया विकल मन
भव सागर के लहरों से जीवन नैया पार करूं कैसे।
हृदय क्रंदन उर ज्वाला जीवन गीत लिखूं कैसे...
स्वर खोया शून्य में,अग्नि में समर्पित तन
उड़ती चिंगारियों के बाद बचेगी थोड़ी भस्म
सजल दृगो की करुण कहानी..गंगा में प्रवाहित
वेदना कणों की समर्पण के गीत लिखूं कैसे।
हृदय क्रंदन उर ज्वाला जीवन गीत लिखूं कैसे....।
उर्मिला सिंह
Tuesday, 10 December 2024
धूप- छांव
धूप...
कभी धूप मिले कभी छांव मिले
कभी फूल मिले कभी शूल मिले
पांव चलते ही रहे चलते ही रहे...
पावों से शिकायत छालों ने किया...
अश्कों की दो बूंद गिरी......
दिल ने हँस के कहा ये......
सहते ही रहो ये जीवन है
यहां भोर भी होती है
तिम भी आक्छादित होता है
गुनगुनी धूप, छांव और फूल भी हंसते हैं
मुस्कान भी है गान भी है
बस कर्मों का खज़ाना है सब तेरे
स्वीकार करो,प्रभु नाम जपो
मुक्ति का बस यही द्वार है तेरे।।
उर्मिला सिंह
Sunday, 8 December 2024
मुक्तक
दर्दोगम को दिल में छुपाये रखती है
कई ख्वाब आँखों में सजाये रखती है
जिन्दगी को तपिश की लपटों से बचाती हुई
नारी पहेली बनी कर्तव्य पर उत्सर्ग रहती है !!
****0****
#उर्मिल
सुलझाने से भी न सुलझे वो ज़िन्दगी है
समझ समझ के भी न समझे ऐसी पहेली है
***0***
# उर्मिल
Wednesday, 4 December 2024
आज वरदान दे मां....
आज वरदान दे माँ आज दे वरदान मां
अपने स्नेहा-अंचल की छांव,आज दे वरदानमां
हृदय ज्वार अपरिमित आज है
दिखती नहीं ...कोई पतवार है
अगम अनजान पथ राही अकेला....
दुर्बल मन, शक्ति.... की आस है
आज वरदान दे मां आज दे वरदान मां
जीवनपथ निर्वाण बन जाय,आज दे वरदान मां।
आधार एक तेरा हृदय में...
अश्रु बूंदे करती मनुहार तुझसे
विकल मन, क्रंदन करती सांसे
मुक्तिद्वार का विश्वास दे.....
आज वरदान दे मां,आज दे वरदान मां
जर्जर मन पीड़ा काअवसान,आज दे वरदानमां।
थके पैर ,आज गति प्रदान कर
संसार के हर भार से मुक्त कर
हर सांस लिख रही विरह गीत अब,
चरण की चाह,पूर्णता का वरदान दे मां
चिर सुख दुख के अन्त का आज उजास दे
आज वरदान दे मां ,आज दे वरदान मां
पावन चरणों की छांव दे आज वरदान दे मां ।।
उर्मिला सिंह