Tuesday, 31 December 2024

नव वर्ष 2025 स्वागत है तुम्हारा

नव वर्ष 2025 ...
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स्वागत है नवल धवल नव वर्ष तुम्हारा।।

स्वागत को आतुर हृदय,
मुस्कुराते खिलखिलाते 
गुनगुनाते,उमंगों को जगाते,
नई किरणे !

नए ख्वाबों के पंख फहराते ,
नवल धवल नव वर्ष 2025  का!!
                  

स्वागत है नवल धवल नववर्ष तुम्हारा स्वागत है!!

प्रेम पवित्रता की रश्मियां ,
पावन हृदय करें !
ऐसा सुन्दर भाव भरो
बुद्धि मन पर विजय करें!!

स्वागत है नवल धवल नव वर्ष तुम्हारा!!
 
 पलट कर अब देखें नहीं,
 गुजरे मायूस पलों की  यादें!
आगे स्वर्णिम भविष्य हो,
शीतलता की छांव हो...
ऐसा नव विहान हो !!

स्वागत है नवल धवल नव वर्ष तुम्हारा !!
 
 नव कल्याण  हो,
 हर धर्म का सम्मान हो,
 प्रेम सद्भावना की लहर उर में उठे....
 नन्हा सा दीपक
 अमन का जगमगा उठे !

मोहब्बत की फिज़ा , खुशबू फैलाए !
दिलों की दूरियां,
कुदरत मिटाए !
जाति-पाति की 
कुरीतियां भूल,
 एक दूसरे को गले लगाए !!

स्वागत है नवल धवल
नव वर्ष तुम्हारा !!
स्वागत है!!

राजनीति के अम्बर पर,
दिदीप्त मान सूर्य लिए!
सत्ता के प्रलोभन से मुक्त,
देश के युवा,कर्णधार हो !!
नेताओं की  नीति में  ,
वसूलो का नव संदेश लिए !
आओ, नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है!!

स्वागत है नवल धवल नव वर्ष तुम्हारा ।

दुर्बल  दीन हीन को 
अभय दान मिले !
कृषक को , उनके
परिश्रम का फल मिले !!
 नारी का सम्मान हो ,
 नव ऊर्जा का आगाज़   
  हो !!
  
आओ नव वर्ष  तुम्हारा    स्वागत है !!

स्वागत है धवल नवल नव वर्ष ,तुम्हारा स्वागत है !!

          🌷उर्मिला सिंह

अलविदा 2024

अलविदा 2024…
कुछ शिकायतें ,
कुछ प्यार भरी बातें,
कुछ सर्द कुछ गर्म,
कुछ खट्टा कुछ मीठा,
इंद्रधनुषी रगों में रंगे...
जीवन के अनेक सपने!
कुछ की याद आते ही
 छा जाते मायूसियों के साए ...
कभी मुस्कानों की चहल कदमी,
कभी ठहाकों की सर्द रातें...
बहुत याद आओगे 
वर्ष 2024 !
कुछ कड़वी यादें ,
आंखों से मूसलाधार बरसाते,
कुछ नोक-झोंक,
कुछ दर्द की बिसाते,
यादों की गुल्लक से
छलकते पैमाने ...
वक्त के आगोश से-
बिखरी कई यादें!
घड़ी की टिक-टिक
बिदा के पल..
नजदीक आगया
अल बिदा-अल बिदा जाते हुए2024 के दिसम्बर !!
         ....उर्मिला सिंह

Sunday, 15 December 2024

हृदय में क्रंदन उर ज्वाला,जीवन गीत लिखूं कैसे 

अश्कों के सजल रथ ,मोम से ख्वाब  पिघलते

व्यथा की पीर दिशाओं में हवाओं के संग भटकते

बिखरे स्वप्न फूलों के,मन अंचल में छुपाऊं कैसे?


 हृदय में क्रंदन उर ज्वाला,जीवन गीत लिखूं कैसे


भावों के गीत मनोरम सब जीवन से लुप्त हुए 

आहों की सरगम में जीवन के दिन रात व्यतीत हुए।

आरोह,अवरोह,पकड़ सब भूल गया विकल मन

भव सागर के लहरों से जीवन नैया पार करूं कैसे।


हृदय क्रंदन उर ज्वाला जीवन गीत लिखूं कैसे...

 

स्वर खोया शून्य में,अग्नि में समर्पित तन 

उड़ती चिंगारियों के बाद बचेगी थोड़ी भस्म

सजल दृगो की करुण कहानी..गंगा में प्रवाहित 

वेदना कणों की समर्पण के गीत लिखूं कैसे।


हृदय क्रंदन उर ज्वाला जीवन गीत लिखूं कैसे....।


                  उर्मिला सिंह



Tuesday, 10 December 2024

धूप- छांव

      

          धूप...

  कभी धूप मिले कभी छांव मिले 

  कभी फूल मिले कभी शूल मिले

  पांव चलते ही रहे चलते ही रहे...

  पावों से शिकायत छालों ने किया...

  अश्कों की दो बूंद गिरी......

  दिल ने हँस के कहा ये......

 सहते ही रहो ये जीवन है

 यहां भोर  भी होती है

 तिम भी आक्छादित होता है

 गुनगुनी धूप, छांव और  फूल भी हंसते हैं

 मुस्कान भी है गान भी है

 बस कर्मों का  खज़ाना है सब तेरे

 स्वीकार करो,प्रभु नाम जपो

 मुक्ति का बस यही द्वार है तेरे।।

            उर्मिला सिंह

Sunday, 8 December 2024

मुक्तक

दर्दोगम को  दिल  में छुपाये रखती है

कई ख्वाब आँखों में सजाये रखती है

जिन्दगी को तपिश की लपटों से बचाती हुई

नारी पहेली बनी कर्तव्य पर उत्सर्ग रहती है !!

                 ****0****

                       #उर्मिल

                 

सुलझाने से भी न  सुलझे  वो  ज़िन्दगी है

समझ समझ के भी न समझे ऐसी पहेली है

                   ***0***

                   # उर्मिल


Wednesday, 4 December 2024

आज वरदान दे मां....

     आज वरदान दे माँ आज दे वरदान मां

अपने स्नेहा-अंचल की छांव,आज दे वरदानमां 

       हृदय ज्वार अपरिमित आज है

       दिखती  नहीं ...कोई पतवार है

       अगम अनजान पथ राही अकेला....

        दुर्बल मन, शक्ति.... की आस है

   आज वरदान दे मां आज दे वरदान मां 

जीवनपथ निर्वाण बन जाय,आज दे वरदान मां।


        आधार एक तेरा हृदय में...

        अश्रु बूंदे करती मनुहार तुझसे

      विकल मन, क्रंदन करती सांसे

        मुक्तिद्वार का विश्वास दे.....

    आज वरदान दे मां,आज दे वरदान मां 

जर्जर मन पीड़ा काअवसान,आज दे वरदानमां।

          थके पैर ,आज गति प्रदान कर

          संसार के हर भार से मुक्त कर 

         हर सांस लिख रही विरह गीत अब,

         चरण की चाह,पूर्णता का वरदान दे मां 

     चिर सुख दुख के अन्त का आज उजास दे


     आज वरदान दे मां ,आज दे वरदान मां

 पावन चरणों की छांव दे आज वरदान दे मां ।।


                   उर्मिला सिंह