मय के दो छलकते
प्याले होती हैंआंखे
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कई पोशीदा राज छुपाती हैं आँखे..
कई सवालों का जबाब देती हैं आंखे!
अनगिनत ख्वाब तैरते इन आँखों में..
मय के छलकते प्याले होती है आंखे !!
हर उम्र की परछाई दिखाती येआंखे..
ममता प्यार से लबरेज़ रहती हैं आंखें!
मोहब्बत,नफ़रत का गजब संगम है ये,
अना के वास्ते अंगार बनती ये आंखे!!
हया से झुकती जब अदा कहलाती हैं
जुबाँ कह न पाए,बयाँ करती हैं आंखे!
समन्दर से भी गहरे भाव सिमटे है इनमें..
दिल जीतने की कशिश रखती हैंआंखे !!
ग़जल है ,नगमा है ,गीत है ये आंखे..
पूजा है ,इबादत है ,प्रीत है ये आंखे !
शोखियाँ,अल्हड़ता जीने का सबब है..
जिन्दगी समेटे जिन्दगी की नूर हैंआंखे!!
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🌷उर्मिला सिंह
वाह दी बहुत ही सुंदर बंया किया आंखों का अफसाना।
ReplyDeleteग़जल है ,नगमा है ,गीत है ये आंखे..
पूजा है ,इबादत है ,प्रीत है ये आंखे !
शोखियाँ,अल्हड़ता जीने का सबब है..
जिन्दगी समेटे जिन्दगी की नूर हैंआंखे!!
वाह दी बहुत ही सुंदर 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteलाजबाब सूंदर रचना , एक छुपी अभिव्यक्ति को सूंदर तरिके से उजागर किया है आपकी रचना ने , बहुत खूब ,
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