एक संदेश---हिन्द के सपूूतों के नाम !!
हाथ में मशाल हो..... ह्रदय में धधकती आग हो
अधरों पे मां भारती की जयकार हो ..........। रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो .....।
सामने तूफ़ान हो , पर ग़म नहीं ।
राह दुर्गम हो ,पर भटको नहीं ..... ....।
पत्थरों को तोड़ , राह तुम बना लो ,
रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो ......।
राना प्रताप के शौर्य की तुम मिशाल बनो ,
झाँसी की रानी के तलवार जैसी धार बनो , आज़ाद , भगत सिंह जैसे देश भक्त बनो,
रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो ......।
सोये देश वासियों में शेर की हुंकार भरदो ,
देश के गद्दारों को मौत का फरमान दो ।
छिपे विभिषडो को देश से निष्कासित करो । रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान ह.......।
शेर हो , गीदड़ भभकियों से डरो नहीं ।
शत्रु रक्त प्यासी माँ भारती को अरि मुण्ड दो । शहीदों की कुर्बानियों का क़र्ज़ तुम उतार दो । रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो .......।
करो ऐसा शंखनाद ,निकल पड़े बूढ़े बच्चे नौजवान ,
सर पर कफ़न बांध,दुश्मनो के हौसले पस्त करो टूट पड़ो महाकाल बन ,आज तुम हिन्द के सपूतों!
रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो ...........।
जय हिंद !!!
🌷उर्मिला सिंह
No comments:
Post a Comment