इन्सान चला जायेगा धरा से
कर्मों का खाता रह जायेगा यहाँ
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तकदीर से पूछा ज़रा!
क्या लिखा है,
आज एवम कल में!
उम्र ने हँस कर कहा!
अंगूठे की छाप है,
होने दो जोभी होगा!
पल ....महीने...साल ...गुजरे,
धुवां... धुवां ...उड़ा!
परिवर्तित हुई नश्वर काया,
खाक में.....!
आत्मा --परमात्मा का,
मिलन हुवा!
कर्म..वजूद ..बना...तेरा,
यहीं रह गया!
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🌷ऊर्मिला सिंह
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