समाज की व्यवस्था से दुखी मन कराह उठता है
नित्य मर्यादाओं का उलंघन,राजनीति का गिरता स्तर वाणी में मधुरता का आभाव जाने कहाँ जारहें हैं हम।
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वो दिन कभी तो आयेगा.......!
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जब मुकुट पहने संवेदनाओं के..
स्वर्णिम बिहान झांकेगा...!
आशा,संकल्पों के दिव्य ज्ञान से..
मानव स्वयम को समझ पायेगा!
वो दिन कभी तो आएगा ....!!
क्षुधित ,पीड़ित मानव को राह दिखायेगा...
अहंकार को भेद,प्रेम संदेशा दे जाएगा..!
निर्मल मधुर सपने साकार होंगे...
मर्यादा स्वाभिमान की सोच का विस्तार होगा..!
वो दिन कभी तो आएगा......!!
नारी की इज्जत जब सड़को पर न नोची जाएगी..
अधखिली कलियाँ न मसली जाएंगी..!
ह्रदय में करुणा प्रेम का इंद्रधनुषी रंग बिखरेगा..
जब दुख का हिम पिघलेगा अम्बर झूम के नाचेगा !
वो दिन कभी तो आयेगा....!!
प्रीत का गठबंधन इन्सान के दिल से दिल का होगा.
पल्लवित पुष्पित हर घर का कोना कोना होगा..!
किसानों के कन्धे पर कर्ज का न कोई बोझ होगा..
वाणी में संयम,धैर्यता,स्थिरता का भाव होगा..!
शहीदों की कुर्बानियों का यही एक उपहार होगा
वो दिन कभी तो आयेगा..........!!
वो दिन कभी तो आएगा..........!!
🌷ऊर्मिला सिंह
बहुत ही मार्मिक रचना आदरणीया
ReplyDeleteनारी की इज्जत जब सड़को पर न नोची जाएगी..
अधखिली कलियाँ न मसली जाएंगी..!
धन्यवाद अनिता जी
Deleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteधन्यवाद अभिलाषा जी
Deleteधन्यवाद अभिलाषा जी
Deleteआभार अमित जी
ReplyDeleteगहरी संवेदना से भरी बहुत सुंदर रचना दी ।
ReplyDeleteआशा तो बडी रखते हैं
जो होगा देखा जायेगा
वो दिन कभी तो आयेगा ....
धन्यवाद कुसुम
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