मन ने आज आवाज दी
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मन ने आवाज दी आ कोई नज़्म लिखें....,
दर्द से भरी आँखे को शायद सुकून आजाये!
ये जख्मों का ज़खीरा चल कहीं और छुपा दे,
या इन्हें पन्नों के हवाले कर पलको को सहलाये!
भीगीं सी नज़्म शबनमी बूंदों से लिख अधरों पे सजाये.....!
आज फ़िर कोई नज़्म लिखे और गुनगुनाये....!
🌷ऊर्मिला सिंह
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