नज़र मिली,नजर से जब ,मन को
अच्छा लगता है!
नजरों को नित ख्वाब देखना तेरा
अच्छा लगता है!
नजर,नजऱ की गुफ़्तगू स्वासों का बढ़ना
अच्छा लगता है!
मधुमास,में कोयल की कूक ह्रदय को
अच्छा लगता है!
नजर झील में प्रीत कमल का खिलना
अच्छा लगता है!
मौन अधर मुग्ध नजर की भाषा पढ़ना
अच्छा लगता है !
खनके नूपुर महावर के,अकुलाना तेरा
अच्छा लगता है !
प्रीत की मादकता में नज़र का झुक जाना
अच्छा लगता है !
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🌷 उर्मिला सिंह
बहुत खूबसूरत नज़र
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर आदरणीया नानी जी
ReplyDeleteधन्यवाद अंचला जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शकुंतला जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शकुंतला जी
ReplyDeletewaah di....bahut khoob likha
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना उर्मिला दी
ReplyDeleteवाह वाह दी बहुत सुंदर श्रृंगार रचना।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ...खूबसूरत...
ReplyDeleteवाह!!!
वाह्ह्ह दी बहुत सुंदर लाजवाब सृजन👌
ReplyDeleteवाह !! बहुत अच्छा
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर मनभावन रचना ..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना
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