यादों पर किसी का वश नही चलता है।ये दिल के झरोखे से झांकती है जब तो शब्द पन्नो पर बिखर ने लगतें हैं.......।
यादें.........
आज फिर चाँद से यादों का धुवां उठता है
चाँदनी आज फिर याद में तेरे जलना है
आज फिर उलझी उलझी सी सांसे भारी हैं
काच से ख्वाबों की बिखरने की आवाज आई है!!
🌷उर्मिला सिंह
बहुत खूब
ReplyDeleteकम शब्दों में कितनी गहराई है!
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