मौसम का चरखा.....
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मौसम का चरखा ऐसा बनाया भगवान ने ,
पतझर है तो मधुमास भी मुस्कुराना चाहिये !!
एकरंगी जिन्दगी रसहीन हो जाती है साथियों
तपती धरा पर घटाओं के प्रीत की बौछार होना चाहिये!!
फैलातें हैं जो नफ़रत का धुवां इस जमीन पर
अंतर्मन में उनके मोहब्बत की शमा जलाना चाहिये!
गुल कर दिया ख्वाब हमने सारे
चाँद तारों को भी नीद आना चाहिये!!
प्रेम,करुणा से छलकते मर्म, मन के आंगन में,
श्रमभाव से पूरित लोकगीतों का, मधुर संगीत होना चाहिये!
दिन गुज़रता है बेवज़ह रात गुजर जाती है,
शनैः शनै: जिन्दगी को खुद से निजात मिलना चाहिये!!
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।🌷उर्मिला सिंह
बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति दी। सच प्रशंसा से परे अपनुपम रचना।
ReplyDeleteवाह बहुत ही बेहतरीन रचना दी
ReplyDelete'पतझर है तो मधुमास भी मुस्कुराना चाहिए.....'
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
परिवर्तन ही प्रकति का नियम है...
पतझर के बाद ही वसंत का आगमन होता है...
रात के बाद दिन आदि....
कुल मिलाकर अच्छी अभिव्यक्ति है...
'पतझर है तो मधुमास भी मुस्कुराना चाहिए.....'
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
परिवर्तन ही प्रकति का नियम है...
पतझर के बाद ही वसंत का आगमन होता है...
रात के बाद दिन आदि....
कुल मिलाकर अच्छी अभिव्यक्ति है...
बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन दी...वाहह्हह👌
ReplyDeleteबेहतरीन सृजन दी 👌👌
ReplyDeleteसादर
हार्दिक धन्यवाद अनिता जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय श्वेता
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी
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