आज की बारिश में.......
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किसी चेहरे पर खुशी
किसी चेहरे पर उदासी
आज की बारिष में ........
किसी की छत चू रही होंगी
किसी आँगन में पानी का पोखर
मायूस सी गृहणी सोचती होगी
रोटी सीकेगी कैसे तवे पर
आज की बारिष में......
कपड़े सारे भीग गये होंगे
ईन्हंन भी गीले हो चुके होंगे
कैसे मारूं फूंक इनपर
की धुवें से दम घुटने लगेंगे
आज की बारिश में.....
फिर भी मन न जाने क्यों खुश है
धान के बीज रोपा था जो खेत में
चलूं उनको ही देख कर खुश होतें हैं
अन्न की अच्छी पैदावर होगी खेत में
आज की बारिश में....
दाता! ये कैसा न्याय है तेरा
कभी सूखा कभी सैलाब लेआता
कभी गांव के गाँव हैं उजड़ते
कही पानी कों तरसता इंसान तेरा!
आज की बारिष में....
🌷उर्मिला सिंह
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