सखी री.....मेघा आये द्वार....
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सखी री ..... मेघा आये द्वार...!
मदमाती गाती शीतल बहत बयार!!
सखी री....मेघा आये द्वार...!!
ढोल बजावत बदराआये!
टिप..टिप बूँदन के सुर साजे!
तृषित धरा लेत अँगड़ाई!
श्रावण करत श्रृंगार.....!!
सखी री....मेघा आये द्वार...!!
रात अँधेरी दामिनी चमके!
दादुर मुखर भये चहुँ ओरे!!
डार पात छुपि कोयल बोले!
ठमक ठमक नाचत बन मोर!!
सखी री ...मेघा आये द्वार....!!
हर्षित ताल तलैया....!
प्रकृति रही मुस्काय...!!
बाँकी चितवन नदिया झूमत!
नाविक छेड़े ...तान मल्हार....!!
सखी री....मेघा आये द्वार....!!
#उर्मिल
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