शर्त में जीना......स्वीकार नही......
मुझे शर्तों में मत बांधो मुझे प्यार करने दो
क्षणभंगुर है ये जीवन मुझे ऐतबार करने दो
अमरलता बन के रिश्तों की डोर फैली है....
इसे सासों में महसूस कर जीभर के जीने दो!!
सागर बन सकती हैं ये आंखे तो आज बनने दो
अश्रु दर्द बन छलक पड़ता है तो छलकने दो
प्यार की प्यास बुझती है इसी शर्त से अगर......
गवारा हर शर्त है मेरी आंखों में आँसूं रहने दो!!
🌷उर्मिला सिंह
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