युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा......
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युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा जब तक समतल राह न होगी...
खुल कर जब तक जन मन में भाई चारे का भाव न होगा,
ऊँचे महल अट्टालिकाओं की ध्वस्त जब तक शान न होगी!
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा जब तक समतल राह न होगी .......
सिहासन से वंशवाद की जब तक रीत न बदलेगी,
चोर लुटेरे गुंडों के हाथों में जब तक जंजीर न होगी!
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा जब तक समतल राह न होगी.......
गद्दारों को सबक मिले आतंकवाद से मिले देश को मुक्ति,
लाचारी गरीबी के चेहरे पर जब तक मुस्कान न होगी!
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा जब तक समतल राह न होगी....
हर बच्चे के हाथों में किताब रहे जन जन को समानता का अधिकार मिले,
बलात्कारियों को प्राण दंड की घोषित जब तक सजा न होगी!
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा जब तक समतल राह न होगी.......
गाँव गाँव में बिजली पानी कृषकों के चेहरे पर हरियाली,
एक भारत,श्रेष्ठ भारत का सपना जब तक साकार न होगा!
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा समतल जब तक राह न होगी......
अजगर बनी दहेज प्रथा जब तक नष्ट न होगी,
जातिवाद का जहर हटे नारा विकास का जब तक बुलन्द न होगा.......
युद्ध तुम्हारा शेष रहेगा जब तक समतल राह न होगी......
#उर्मिल#
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हार्दिक धन्यवाद मान्यवर मेरी रचना को शामिल करने के लिए।
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