जिन्दगी से हम दूर होने लगते हैं......... जब
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जिन्दगी से हम दूर होने लगते ........ जब.......
हम अपनी आदतों के वश में हो जातें हैं
जिन्दगी में कुछ नयापन शामिल नहीं करते
भावनाओं को समझ कर भी अनजान होतें हैं
या अपने स्वाभिमान को कुचलता देखते रहते
तब जिन्दगी. से हम दूर होने लगते........हैं
जब किताबों का पढ़ना बन्द होने लगता है
जब ख्वाबों का कारवां दम तोड़ने लगता है
मन की आवाजों की गूंज जब सुनाई नहीं पडती
अपने आप ही जब आंखे नम होने लगती है
तब जिन्दगी से हम दूर होने लगते........ हैं
जीवन रंग विहीन हो स्वयम से जब दूर होने लगता
अपने काम से जब मन स्वयम असन्तुष्ट रहने लगता
मन की दशा जब कागज पर उकेरे मोर सी होती
जो बरसात तो देखता पर पँख फैला नाच नहीं सकता
तब जिन्दगी से हम दूर होने लगते हैं.........
🌷उर्मिला सिंह
बेहतरीन रचना दी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय अभिलाषा
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