इतराती फिर रहीं सब्जियों की महारानी प्याज रानी
भाव न पूछो इनके शतक लगा रहीं प्याज महारानी
सलाद सर पकड़ कर बैठा, रो रहे टमाटर गाजर की यारी
सिर पकड़े हम भी बैठे स्वाद विहीन हुई सब्ज़ी सारी!
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उर्मिला सिंह
वाह !वाह !क्या ख़ूब कहा आदरणीया दी जी
ReplyDeleteसादर
स्नेहिल धन्य वाद प्रिय अनिता जी
Deleteप्याज रानी रच रही अपनी कहानी..
ReplyDeleteछक्के पे छक्का मार बन गई अभिमानी..
वाह क्या खूब मौजूदा समय को देखते हुए
अच्छी हास्यप्रद रचना...
वाह वाह क्या बात है....
सचमुच प्याज की महंगाई ने आँसू निकलवा दिया है। सुंदर व्यंग प्याज के संदर्भ में 👌👌👌सादर शुभकामनायें उर्मिला जी 🙏🙏🙏
ReplyDeleteआभार रेणू जी
Deleteवाह सचमुच प्याज ने महारानी बनकर अपने दाम बड़ा दिए हैं
ReplyDeleteहार्दिक धन्य वाद इस रचना को पसन्द करने के लिए
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