कल की रात का नज़ारा
पलास के बिखरे
पुष्पों से कम नहीं था.....
दीपक की लौ......
पलास के बिखरे पुष्पों
की तरह धरा को आल्हादित
कर रही थी ......
आसमा से देव शक्तियां भी
ये मनमोहक नज़ारा
देख आशीषों की वर्षा कर
नकारात्मकता से मानव मन को
विचलित नहीं होने का संदेश
दे रहीं थीं......
"न हो नर निराश तू
ये मौसम भी ढल जाएगा
फिर कुमुदिनी खिलेगी
पलास के फूलों से
ये मन वृक्ष लद जायेंगे
बहकने लगेगी डाली डाली
फिर बागों में बसंत आ जाएगा" "
बीती गई चम्पई चांदनी रात
अनुरागमई भोर का आगमन हुआ
ची - ची चिडियों का कलरव
आशामय किरणों से .....
उर सागर में उर्मियां का शोर हुआ
शीतल हवाओं का मधुर स्पर्श
भावों, विचारों में हुआ
सकारत्मक ऊर्जा के संचार से
नकारात्मकता को नकारने का....
मन को दृढ़ विश्वास हुआ
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उर्मिला सिंह
सकारात्मक ,सामयिक,सांत्वना प्रदान करती हुई प्रेरक रचना....
ReplyDeleteउत्कृष्ट .....💐💐
हार्दिक धन्य वाद
ReplyDeleteहार्दिक धन्य वाद कामिनी जी मेरी रचना को साझा करने के लिए
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteआभार ओंकार जी l
Deleteनिराशा में आशा और नकारात्मकता में सकारात्मक भावों का संचार करती अत्यंत सुन्दर रचना । आभार इतनी सुन्दर रचना
ReplyDeleteहेतु ।
हार्दिक धन्य वाद मीना भारद्वाज जी l
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