अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर
एक माँ की हुंकार.....
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प्यारी प्यारी लगती छवि तुम्हारी ..
फूलों से भी नाजुक कली हमारी....
इस निर्मम जग में तेरा सम्मान नही,
हाँथों में जब तक तेरे तलवार नही !!
माँ हूँ ,कमजोर तुझे ना बनने दूँगी..
जमाने पर अब बलि ना चढ़ने दूँगी..
बहुत सुनी बातें सबकी-अब और नही,
तेरी बाहों में मैं काली की शक्ति दूंगी !!
अबला समझे अब दुनिया तुझको...
यह कत्तई बर्दास्त नही अब मुझको...
तेरी कमजोरी ही ढाल बनेगी तेरी,
ऐसा सबक सिखाना होगा तुझको !!
संस्कार ह्रदय में होता कपड़ों में नही...
सीता सावित्री कहानियों में होती हैं...
रानी लक्ष्मीबाई से युद्ध प्रेरणा ले उठ ,
तुझे इतिहास बदल-नई कहानी लिखनी है!!
मां दुर्गा का वन्दन,कटार उठा हाँथों में...
चूड़ी - कंगन बजने दे शंख नाद ये तेरा..
हर दुश्मन का लहू पी अपनी प्यास बुझा,
आँसू की हर बूँद घूमेंगी बन कर नव दुर्गा !!
उर्मिला सिंह
Ek behtarin Rachna
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सवाई सिंह राजपुरोहित जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी।
Deleteअभिवादन तथा हमारी रचना को मंचपर शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय दी।
ReplyDeleteसादर
हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनिता जी
ReplyDeleteवाह, बहुत सुन्दर!
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