बीते हुए लम्हो जरा लौट के आजाना
अधरों की खोई मुस्कान लिए आजाना।।
खुशियों से भरी महफिल
हंसते दिन हँसती राते
शामों की रंगीन झलक दिखला जाना
बीते हुवे लमहों ज़रा लौट के आजाना।।
माना गम की धूप है छाई.....
जीवन में रिक्तता भर आई
अम्बर से आशाओं की बारिष कर जाना
बीते हुवे लम्हो जीवन रंगीन बना जाना।।
धीरज की बाती से दीप जला
होगा फिर सूरज का उजाला
खिलती कलियां भौरें की गुन-गुन देजाना
बीते हुवे लम्हों ज़रा लौट के आजाना
फिर त्योहारों की धूम मचे
फिर खुशियों की रंगोली सजे
घण्ट,शंख की पावन ध्वनि सुना जाना
बीते हुवे लम्हे ज़रा लौट के आजाना।।
बीते हुए लम्हे ज़रा लौटा के आजाना।।
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उर्मिला सिंह
फिर त्योहारों की धूम मचे
ReplyDeleteफिर खुशियों की रंगोली सजे
घण्ट,शंख की पावन ध्वनि सुना जाना
बीते हुवे लम्हे ज़रा लौट के आजाना।।
उम्मीद है जल्दी ही यह शुभ दिन लौट आएंगे। बहुत सुंदर और सार्थक सृजन आदरणीया दी👌👌
हार्दिक धन्यवाद प्रिय बहन।
Deleteउम्मीद भरी सुंदर रचना। आपकी कामनाओं का संसार पुनः खिल उठे।।।।।।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आलोक सिन्हा जी।
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ReplyDeleteधीरज की बाती से दीप जला
होगा फिर सूरज का उजाला
खिलती कलियां भौरें की गुन-गुन देजाना
बीते हुवे लम्हों ज़रा लौट के आजाना
...सकारात्मक संदेश देती सुंदर रचना..आपको सादर शुभकामनाएँ।
धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा सिंह जी।
Deleteहमारी रचना को लिंक चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
ReplyDeleteसुंदर प्रार्थना
ReplyDeleteप्रार्थना का बल पाकर फिर से जीवन सहज हो जाए.
ReplyDeleteमीठी-सी अरदास.
बहुत सुन्दर एवं हृदय स्पर्शी रचना। उम्मीद रखना है कि सब जल्दी ठीक हो जाएगा।
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