बादलों की तरह होती हैं खुशियां कोई जानता नही ।
कब कहाँ बरस जाएंगी ये खुशियां कोई जानता नही।।
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बद्दुआएं जुबाँ से ही नही दिल से भी निकल जाती हैं
दुखी ह्रदय के आँसूं भी बद्दुआ बन जाती है।
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संघर्षों, मुसीबतों, परेशानियों से घबराना कैसा...
सितारे अंधेरों में ही चमकते हैं सोच के देखना ज़रा।।
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परवरदिगार, जुल्म नही करता कभी बंदों पर
अपने
बुराई के अंजाम से अवगत कराने का भार है उसपे।।
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जिन्दगी-ए सफ़र में कितना समान रहता है
होतें वे नसीब वाले जिनके संग ईमान होता है।।
उर्मिला सिंह
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 22 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका दिव्या जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।
Deleteसंघर्षों मुसीबतों, परेशानियों से घबराना कैसा...
ReplyDeleteसितारे अंधेरों में ही चमकते हैं सोच के देखना ज़रा।। बहुत सुंदर पंक्तियां
Vinbharti ji आभार आपका ।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (22 -6-21) को "योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
कामनी जी हार्दिक धन्यवाद हमारी रचना को लिंक चर्चा में शामिल करने के लिए।
Deleteबहुत ही सुन्दर संदेशपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका।
Deleteसंदेशात्मक सृजन
ReplyDeleteसंगीता जी बहुत बहुत आभार।
Deleteसंघर्षों, मुसीबतों, परेशानियों से घबराना कैसा...
ReplyDeleteसितारे अंधेरों में ही चमकते हैं सोच के देखना ज़रा।।--बहुत अच्छी पंक्तियां
संदीप जी हार्दिक धन्यवाद उत्साह वर्धन के लिए।
Deleteपरवरदिगार, जुल्म नही करता कभी बंदों पर
ReplyDeleteअपने
बुराई के अंजाम से अवगत कराने का भार है उसपे।।
वाह!!!!
एक से बढ़कर एक सुन्दर संदेशपूर्ण शेर
लाजवाब गजल।
अन्तर्मन से आपका आभार हौसला बढ़ाने केलिए।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआलोक सिन्हा जी शुक्रिया।
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल आ.दी।
ReplyDeleteप्रिय बहन अनुराधा स्नेहिल धन्यवाद ।
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