माँ'जिन्दगी का नगमा है जो ग़म में सुकून देता है।
मां का आँचल पेड़ की छांव है जो दर्द की धूप से बचाता है।।
मां की ख़ुशबू से सारा जहां महक उठता है....
मां का प्यार वो मशाल है जो सही रास्ता दिखाता है।
माँ का दिल औलाद की गलतियों को भी माफ़
करता हैं।
उसे रुसवा न करना कभी उसके कदमों में स्वर्ग मिलता है।।
उर्मिला सिंह
सच कहा दी माँ तो बस माँ होती है।
ReplyDeleteसब कुछ जानकर भी अनजान होती।
बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
सादर
बहुत बहुत आभार अनिता सैनी जी।
Deleteमां को समर्पित बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी ।
Deleteबहुत बहुत सुन्द
ReplyDeleteआभार आलोक सिन्हा जी।
Deleteमां शब्द ही बहुत प्यारा है और आपके भाव अनमोल है
ReplyDeleteरचना की प्रसंशा के लिए आभारी हूँ।
Deleteमाँ जिसका ना कोई पर्याय है नाहीं सानी
ReplyDeleteसही कहा गगन शर्माजी 'मां का कोई प्रर्याय नही
Deleteहार्दिक धन्यवाद आपको।
माँ से बढ़कर कुछ नहीं। सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी ।
ReplyDeleteरविन्द्र जी अन्तर्मन से आभारी हूँ आपकी ।
ReplyDeleteआपने मेरी रचना को चर्चा मंच के लिए चुना।पुनः धन्यवाद।