सावन भदउवां में तीज त्योहरवा ....
मनवा करे ला जाईं नैहरवाँ.....
गोरी गोरी कलैया ,हरी हरी चूड़ियां
हथेलिया पर रचैबे मेहंदी का बुटवा
धानी चुनरिया पहिन जाईं नैहरवा....
मनवाँ करेला जाईं नैहरवाँ......
लमवा से देखबे पिया गांव के खेतवा
लहरात होइहे ओमा पिया हरे हरे धनवां
याद आवे पिया सखिया सहेलियां .. ...
मनवाँ करेला जाईं नैहरवाँ....
निबिया की डलिया ,डालल होइ झुलवा
संग क सहेलियां झूलत होइन्हे झुलवा
झीम झिम बरसत होइन्हे कारे कारे बदरा
कि.. मनवा करेला जाईं नैहरवा....
कजरी के गितिया गुंजत होई दुवरियाँ
मईया उदास कब आई मोर बिटियवा
दुवरे पर ठाढ़ बाबा देखे मोरी रहिया...
कि…मनवाँ करे ला.... जाईं नैहरवाँ
कि मनवा करे ला जॉइन नैहरवाँ......
उर्मिला सिंह
सावन की सुंदर छटा बिखेरता,और सुखद अनुभूति कराता सार्थक गीत ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी।
Deleteबहुत सुंदर गीत रचा आपने उर्मिला जी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteनमस्ते..अनिता सैनी जी हार्दिक धन्यवाद हमारी रचना को शामिल करने के लिये।
ReplyDeleteआलोक सिन्हा जी हार्दिक धन्यवाद रचना की प्रसंशा के लिये।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन दी ।
ReplyDeleteरस घोलती सी कजरी।
सुंदर।
धन्यवाद प्रिय कुसुम
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