जख्मों की इन्तिहा अब होगई
जिन्दगी भी एक इम्तहान होगई।।
इंसान ही इंसान पर जुल्म करता है
जहां में प्रभु अब रक्तबीज पैदा करता है।।
होशियारों,फरेबों का बोलबाला है
इंसानी सभ्यता संस्कृति केवल एक बहाना है।
हिटलर से भी ऊंची पदवी मिल गई जिनको
तलवार की नोक पर उनके ज़माना हैं।।
हर जिन्दगी बमो बारूद के ढेर पर बैठी है
विज्ञान के चमत्कार का विश्व दीवाना है।
उर्मिला सिंह
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-9-21) को "हिन्द की शान है हिन्दी हिंदी"(4187) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामनी जी हमारी रचना को चर्चा में रखने के लिए। पुनः धन्यवाद
ReplyDeleteहर जिन्दगी बमो बारूद के ढेर पर बैठी है
ReplyDeleteविज्ञान के चमत्कार का विश्व दीवाना है।... वाह! सुंदर।
आभार विश्वमोहन जी।
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