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प्रार्थना जितनी गहरी होगी
उतनी ही निःशब्द होगी
कहना चाहोगे बहुत कुछ
कह ना पाओगे कभी कुछ।
विह्वल मन होठों को सी देंगे
अश्रु आंखों के सब कह देंगे
संवाद नही मौन चाहिए .....
प्रभु मौन की भाषा समझ लेंगे।।
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उर्मिला सिंह
मैं इस कविता के भाव से पूर्णरूपेण सहमति व्यक्त करता हूँ।
ReplyDeleteआभार आपका माथुर जी।
Deleteवाह!दी गहन भाव।
ReplyDeleteआध्यात्मिक सा सृजन।
स्नेहील धन्यवाद प्रिय कुसुम
Deleteगहन भाव आ0
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका अनिता सुधीर जी।
Deleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर हमारी रचना को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteसही कहा ...गहन भाव ।
ReplyDeleteलाजवाब।