एक ख्वाईश....पागल मन की।
बारिष -बादल
सावन -झूले
सुहानी हवा
माटी की सुगंध
फूलों की खुशबू
पूरी कायनात महक उठे।।
एक ख्वाइश -पागल मन की।।
इंद्रधनुषी -अम्बर
विश्वाशों का सफर
अनन्त की प्रार्थना
बारिश की बूंदे
अन्तर्मन के भाव
विभोर तन मन
नयन कोरों से
छलकते अश्क
एक ख्वाइश -पागल मन की।।
कुछ शब्द
यादों के पिंजरे से
तस्वीर बन
सामने आते
बीते वक्त के अहसास
सुरीले गीत के स्वर
गूंजते वादियों में।।
एक ख्वाईश - पागल मन की।।
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उर्मिला सिंह
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुप्रभात -हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteपावस ऋतु का सुंदर शब्दचित्र।सराहनीय रचना ।
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद
Deleteसराहनीय सृजन
ReplyDeleteआभार मान्यवर।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर ख्वाहिश ।
👌👌🙏🙏
सुधाजी हार्दिक धन्यवाद।
Deleteआप का बहुत बहुत आभार पम्मी जी हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए। शुभ रात्रि
ReplyDeleteइससे ज्यादा क्या ख्वाहिश करेगा मन ...... लेकिन मन पागल तो नहीं है ..... खूबसूरत रचना ..... बारिश शब्द सुधार लें .
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