आज का समय ....जहां रिश्ते मिनटों में बनते बिगड़ते हैं।
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शादियों में हल्दी चन्दन सिंदूर तो है
पर रिश्तों के बन्धन का पता नही
मिठाई,बुलावा ढोल तमाशे तो हैं.....
रिश्तों में प्यार संवेदना का पता नही।।
लिफाफे,उपहार पेकिंग की तारीफ़ तो है शुभकामनाओं की गहराई का पता नही
डब्बो के रंग डिजाइन की होती तारीफें
महक ,स्वाद का क्या होता कोई पता नही..।।
उम्मीदों की लालटेन हाथों में तो है
ख्वाबों की रोशनी का कुछ पता नही
खुशियों की चाभी औरों के हाथों में...
किस्मत की मंजिल का कोई पता नही।।
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उर्मिला सिंह
बहुत बहुत धन्यवाद कामनी सिन्हा जी ,हमारी रचना को चर्चा मंच पर रखने के लिए।
ReplyDeleteसब यों ही चले जा रहा है ...कोई करे तो क्या करे !
ReplyDeleteसही कहा आपने ,बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 11 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार आपका यशोदा जी हमारी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए।
DeleteBahut sundar
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रंजू भाटिया जी।
Deleteसमय के सोते में बह रहा है सब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
अनिता जी स्नेहिल धन्यवाद ।
Deleteयथार्थ का सटीक चित्रण किया है आपने दीदी । सुंदर रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिय बहन।
Deleteखुशियों की चाभी औरों के हाथों में...
ReplyDeleteतो
किस्मत की मंजिल का कैसे पता चले..!
शुक्रिया विभा जी।
Deleteबस सब चल रहा । सटीक अभव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी
Deleteसत्य को दर्शाती बहुत ही सटीक रचना दी।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर।
बेहतरीन रचना दी।
ReplyDeleteसटीक और बेहतरीन अल्फाज!!!
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